“Gender kaise banata hai” सवाल में आप बायोलॉजिकल लिंग (sex) के विकास या जेंडर आइडेंटिटी के विकास के बारे में जानना चाहते हैं, इस पर थोड़ी विस्तार से चर्चा करते हैं:

  1. बायोलॉजिकल लिंग (Biological Sex):
    • जीनेटिक तय होता है: जब अंडाणु और अंडाणु मिलते हैं, वे एक जीनेटिक कोड बनाते हैं जिसमें XY या XX जेंडर क्रोमोजोम होते हैं। XY क्रोमोजोम वाले भ्रूण पुरुष बनते हैं और XX क्रोमोजोम वाले महिला।
    • हार्मोन्स: जीनेटिक कोड द्वारा निर्धारित होने वाले जेंडर क्रोमोजोम विकसित भ्रूण में विशिष्ट हार्मोन्स का उत्पादन करते हैं, जो लिंग के विकास में महत्वपूर्ण होते हैं।
  2. जेंडर आइडेंटिटी (Gender Identity):
    • यह व्यक्ति का आत्म-संवेदन और आत्म-पहचान है कि वह पुरुष, महिला, दोनों, या न तो है।
    • जेंडर आइडेंटिटी के विकास में जीनेटिक, हॉर्मोनल, सामाजिक, और पर्वरिश संबंधित कारक होते हैं। लेकिन, इसका विकास कैसे होता है यह अब तक पूरी तरह से समझा नहीं गया है।
  3. जेंडर प्रकटीकरण (Gender Expression):
    • यह है कि व्यक्ति अपनी जेंडर को कैसे प्रकट करता है – जैसे की पहनावा, व्यवहार, और शौचालय प्रवृत्तियां।

यह महत्वपूर्ण है कि हम जेंडर आइडेंटिटी (जिसे व्यक्ति महसूस करता है) और जेंडर प्रकटीकरण (जिसे व्यक्ति दिखाता है) को बायोलॉजिकल लिंग से अलग मानें।